Saturday, June 13, 2009

Urdu Ghazal 2 of Sahir Ludhianvi in Hindi





ग़ज़ल



दीखा तो था यों ही किसी ग़फ़लत शाार ने

दयवानह कर दिया दल बे अख़तयार ने



अे आरज़ो के धनदले ख़राबो जवाब दो

फर किस की याद आी थी मझ को पकारने



तझ को ख़बर नहीं मगर खाक सादह लोह को

बर्बाद करदिया तरे दो दिन के पयार ने



में और तुम से तरक महबत की आरज़ो

दयवानह कर दिया है ग़म रोज़गार ने



अब अे दल तबाह तरा कया ख़याल हे

हम तो चले थेकाकल गीती सनवारने


There are some typing mistakes so kindly ignor it


0 comments:

Post a Comment

 
Copyright (c) 2010 Sahir Ludhianvi Urdu Poet & Song Writer and Powered by Blogger.