Saturday, June 13, 2009

Sahir Ludhianvi's Urdu Poem Yaksooi in Hindi

यकसवी



अहद गुम गशतह की तसवीर दखाती कयों हो

एक आवार मनज़ल को सताती कयों हो



वह हसीं अहद जो शरमनद एफ़ा न हवा

इस हसीं अहद का मफ़होम जताती कयों हो



ज़नदगी शाल बे बाक बन लो अपनी

ख़ोद को ख़ाकसतर ख़ामोश बनाती कयों हो



में तसोफ़ के मराहल का नहीं हों क़ाल

मीरी तसवीर पह तुम फूल चड़ाती कयों हो



कौन कहता है कि आहीं हैं मसाब का अलाज

जान को अपनी अबस रोग लगाती कयों हो



एक सरकश से महबत की तमना रख कर

ख़ोद को आीन के फनदों में फनसाती कयों हो



में समझता हों तक़दस को तमदन का फ़रीब

तुम रसोमात को एमान बनाती कयों हो



जब तमहीं मझ से ज़यादह है ज़माने का ख़याल

फर मरी याद में यों अशक बहाती कयों हो



तुम में हमत है तो दनया से बग़ओत कर दो

वरनह म बाप जहां कहते हैं शादी कर लो

0 comments:

Post a Comment

 
Copyright (c) 2010 Sahir Ludhianvi Urdu Poet & Song Writer and Powered by Blogger.