Saturday, June 13, 2009

Poem of Sahir Ludhianvi Ek Wakea in Hindi









एक वाक़ाह



अनधयारी रात के आनगन में यह सुबह के क़दमों की आहट

यह भीगी भीगी सरद हवा यह हलकी हलकी धनदलाहट



गाड़ी में हों तनहा महो सफ़र और नीनद नहीं है आँखों मीं

भोले बसरे अरमानों के ख़वाबों की ज़मीं है आँखों मीं



अगले दिन हाथ हलाते हैं बछली पीतीं याद आती हीं

गुम गशतह ख़ोशयां आँखों में आनसो बन कर लहराती हीं



सीने के वीरां गोशों में एक ठीस सी करोट लीती हे

नाकाम अमनगीं रोती हीं अमीद सहारे दीती हे



वह राहीं ज़हन में घोमती हैं जिन राहों से आज आया हों

कतनी अमीद से पहनचा था कतनी मएोसी लएा हों







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Via chitthajagat.in







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