Saturday, June 13, 2009

Sahir Ludhianvi's Urdu Poem Shahakar in Hindi

शाहकार



मसोर में तरा शहकार वापिस करने आया हों







अब उन रनगीन रख़सारों में थोड़ी ज़रदयां भरदे

हजाब आलोद नज़रों में ज़रा बे बाकयां भर दे



लबों की भीगी भीगी सलोटों कोमजमहल करदे

नमएां रनग पीशानी पह अकस सोज़ दिल कर दे



तबसम आफ़रीं चहरे में कुछ सनजीदह पन भर दे

जवां सीने की मख़रोती अठानीं सरनगों कर दे



घने बालों को कम करदे मगर रख़शनदगी दे दे

नज़र से तमकनत ले करमज़ाक़ अाजज़ी दे दे



मगर हां बनच के बदले असे सोफ़े पह बठला दे

यहां मीरी बजाे खाक चमकती कार दखला दे
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